((१))
पिता ,
बच्चपन में तूने मुझे हाथों से सम्भाला ,
दिखाया तू जीवन में किस तरह ढला,
सिखाया किस तरह संघर्ष में जला,
बताया किस तरह सेवा में गला,
मेरे आंसुओं को तूने हाथों से मला,
संतोष करना सिखाया जो भी है मिला,
पिता ,
बच्चपन में तूने मुझे हाथो से सम्भाला|
((२))
पिता,
एक वट व्रक्ष सा,
जो है फैलाये,
कई अद्रश्य हाथ|
है पूजनीय,
ईश्वर के समान,
मेरे लिए हैं,
वे ही नाथ|
सिखाया,
सालो साल रहना,
अडिग,
अपने स्वत्व पर,
जिससे मिला मनोनितो का साथ ||
पिता वो पेड़ है जिसकी छाया में रहकर ऊर्जा मिलती है। कुछ कर गुजर ने की हिम्मत मिलती है। आपने बखूबी दिल से याद किया अपने पिता को। वरना आजकल....
ReplyDeleteहै पूजनीय,
ईश्वर के समान,
मेरे लिए हैं,
वे ही नाथ|
बहुत खूब।
impressive...bohot pyaara likha he..
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