आज मैं खुश हूँ क्योंकि आज मेरा ब्लॉग १ साल का हो चुका है | इस ब्लॉग ने कई उतार चड़ाव देखे , कई दिनों तक फ़ालतू बैठा हुआ मुझे बोलता रहता -भाई मुझसे काम ले | कभी कभी कुछ लिखते हुए विचारों पर पूर्णविराम लग जाता था तब इसने कहा -भाई कल जरूर पूरा करना | कल कल करते हुए कई कल बीत गये , उन विचारों को मैं एक सजावट नहीं दे पाया | मैंने हर बार ब्लॉग से समय की व्यस्तता की बहाने की ओड ली मगर समय गुजरते मेरे ब्लॉग पर एक अजीब शक्ति विकसित होती चली | ब्लॉग हमेशा मुझसे बोलता -भाई मैं सब जानता हूँ | उसकी भावनाओं को ज्यादा ठेस न पहुंचाते हुए मैंने कई विचारों को जीवन दिया |
ब्लॉग बनाने का विचार मेरे अंदर स्वतंत्र रूप में आया | मगर कुछ लिखने की प्रेरणा मुझे मेरे दोस्त "मयंक शर्मा" ने दी | मैंने पहले पत्र में अपने ब्लॉग को पहचान देते हुए उसके मायिने घोषित किये | पहला पत्र अंग्रेजी में लिखा , और उसने कम सराहना पायी | पीछे न हटते हुए मैंने अपनी जीविका लिखी और फलस्वरूप मेरा ब्लॉग सुर्ख़ियों में छाने लगा | हर दोस्त मेरे ब्लॉग को पड़ता और उसे और अच्छा बनाने की प्रेरणा मुझे देते रहता | कुछ दिन के विश्राम के बाद मेरे ब्लॉग ने कुछ शक्ति अर्जित करते हुए 'माँ' की अमूल्य भावों पर रौशनी डाली और एक कविता लिखी | उस कविता में कुछ ऐसे भाव छुपे थे जो जनता को अश्रु-बहाने पर मजबूर कर देते|
फिर कुछ कवितायेँ और लिखी जैसे - पिता (२ कवितायेँ),एक शुष्क व्रक्ष | उसके कुछ दिनों बाद मैंने अपने अनुभव बांटना चाहे और इसमें मैं सक्षम हुआ | भाई ! ऐसा न हो - सराहनीय रहा और संतोष एवम एक मुलाकात को भी दूर-द्रष्टि मिलती रही | अब मैंने अपने ब्लॉग को नये मौड़ पर मुड़ने की कोशिश की है जिसमे में अंग्रेजी में लिखे गये "views on reshuffling of cabinet " शामिल है | आगे traffic पर मेरी एक रचना सामने आयेगी जो अंग्रेजी में होगी |
इस ब्लॉग को आगे बडाने में जनता का बहुत बड़ा हाथ रहा है | उनकी अलग अलग टिप्पणियां मेरे लिए मददगार साबित हुई हैं| और मैं चाहता हूँ कि मेरे कई पत्रों की गलतियाँ निकलने से भी वह पीछे नहीं हटे | मैं आशा करता हूँ की मेरा ब्लॉग जब बड़ा होगा तो कई मौड़ पर देखभाल कर मुड़ेगा और एक नई दिशा बनाने में सफल होगा |
चलिए यह बात तो हुई ब्लॉग की मगर इसके कर्ता धर्ता का क्या ? कुछ दिनों तक मेरा ध्यान या तो अच्छा ब्लॉग लिखने में या उसे सवारने में हुई | ब्लॉग को उचाईयों तक पहुँचाने की समझ मुझसे कोसों दूर थी | माँ की कविता लिखने के बाद मैंने कुछ साहस दिखाया , अलग अलग ब्लॉग पड़े , किताबें और बहुत कुछ किया जिससे मेरा ब्लॉग सुर्ख़ियों में बना रहे | आगे के कुछ दिनों में मेरे अंदर शैली और भाषा का प्रश्न उठने लगा | क्या मुझे हिंदी या कोई और भाषा का सहारा लेना चाहिए अपने विचारो को ढालने के लिए | यह प्रश्न अभी तक बना हुआ है | काश जल्दी मैं इसे हल कर पाऊं |
a vry vry happy b'day "iccha"....sorry i m late....
ReplyDeletethx for the personal reference bhai :) keep writing, I am expecting a lot to come from u !!
ReplyDeletethnx mayank...these are the words which encourage me to write...
ReplyDeletethnx anonymous....but it would be better to write ur name ...
ReplyDeleteHindi is 4th most spoken language in world ..
ReplyDeletetat poem of harivanch banchan was gud
u did awesome thinking differently.
thanks for a wonderful site
ya..with a large population..in coming years u will see it in top two..u will see..
ReplyDelete